दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 का परिचय | cr.p.c 1973 Notes

इस आर्टिकल में मैं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की बेसिक जानकारियां विस्तार पूर्वक बताऊंगा। पोस्ट पसन्द आये तो शेयर करने की कृपा कीजिये।

कानून किसे कहते हैं?

साधारण शब्दों में "मानव/मनुष्य के व्यवहार को नियंत्रित एवं संचालित करने वाले नियमो को कानून कहते हैं।"


सामण्ड के अनुसार- "कानून (विधि) न्याय के प्रयोग में राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त तथा प्रयुक्त सिद्धान्तों का निकाय हैं।"

ऑस्टिन के अनुसार- " कानून प्रभुसत्ता-सम्पन्न का आदेश हैं।"

एरिस्टोल(अरस्तू) के अनुसार- कानून मानव (मनुष्य) की प्रकृति में निहित है और मानव प्रकृति से प्राप्त किया जा सकता हैं।


कानून(विधि) के प्रकार:- 

मुख्य रूप से कर्तव्य एवं प्रक्रिया की दृष्टि से विधि को दो भाग (1.मौलिक विधि,2.प्रक्रिया विधि ) में वर्गीकृत किया जा सकता है।


1.मौलिक विधि: ऐसी विधि जो कर्तव्यों एवं अधिकारों को बताती हो उसे  मौलिक विधि कहते हैं, मौलिक विधि को हम सारवान विधि के नाम से भी जानते हैं।

मौलिक विधि के उदाहरण:-

भारतीय संविदा अधिनियम

भारतीय दंड संहिता 

2.प्रक्रिया विधि: ऐसी विधि जो कार्यवाही के प्रक्रिया (प्रक्रमों) को बताती हो उसे प्रक्रिया विधि कहते है।

प्रक्रिया विधि के उदाहरण:-

सिविल प्रक्रिया संहिता 1908

दंड प्रक्रिया संहिता 1973


विधि/कानून के स्रोत:-

परम्पराएं(रीति-रिवाज)

विधान (legislation)

निर्णीत वाद(पूर्व निर्णय)


दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 

धारा 1 :- दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 1 में संक्षिप्त नाम,विस्तार एवं कब से लागू हुआ है इसका उल्लेख किया गया है। धारा 1 के अनुसार दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 का संक्षिप्त नाम दंड प्रक्रिया संहिता,1973 हैं एवं यह 1 अप्रैल 1974 से लागू है। आगे पढ़ें...


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