मानहानि (डिफार्मेशन) किसे कहते है परिभाषा दे तथा,निर्णीत वादों सहित विवेचना/वर्णन/व्याख्या


मानहानी(DEFAMATION)



मानहानि का परिचय तथा परिभाषा

मानहानी का प्रावधान भारतीय दंड संहिता की अध्याय 21 (धारा 499से502 तक) मे किया गया है। किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा/सम्मान/इज्जत को हानि/छति पहुँचाना मानहानि है। कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के प्रतिष्ठा/इज्जत/सम्मान को ठेस पहुँचाता है या प्रतिष्ठा/सम्मान को किसी भी प्रकार से हानि पहुँचाता है तो कहा जाता है वह अपमान/मानहानी कर रहा है। अंग्रेजी कानून में मानहानी को अपमान लेख और अपमान वचन ( दो भागों) में विभाजित किया गया है ,अंग्रेजी विधि में अपमान लेख को अपराध माना गया तथा अपमान वचन को अपराध नही माना गया है। लेकिन भारत के कानून की दृष्टि में दोनों अपराध की श्रेणी में आते है।
       

भारतीय दण्ड संहिता 1860 कि धारा 499 में मानहानी को परिभाषित किया गया है । धारा 499 के अनुसार किसी व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद,सरकार, समूह,धर्म,या राष्ट्र के प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने वाला कथन/बात/शब्द मानहानी कहलाता है।



मानहानी के लिए दण्ड:-


मानहानी साबित हो जाने पर अपराधी (आरोपित) को भारतीय दंड संहिता की धारा 500,501,502 के तहत कारावास ,आर्थिक दंड अथवा दोनो प्रकार के दंड से दंडित किया जा सकता है।




मानहानि का आवश्यक तत्व:-


(१) कथन/शब्द मानहानि कारक हो

(२) कथन/शब्द कोसी व्यक्ति विशेष के प्रति निर्दिष्ट हो

(३) उस कथन/शब्द का प्रकाशन हो


(१) कथन/शब्द मानहानिकारक हो- मानहानिकारक कथन/शब्द से तात्पर्य ऐसे असत्य कथन से है जिस कथन के लिखित या मौखिक प्रकाशन से किसी व्यक्ति विशेष की ख्याति, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा को हानि पहुचता है उसे ही मानहानिकारक कथन कहते है।



(२) कथन/शब्द कोसी व्यक्ति विशेष के प्रति निर्दिष्ट हो- मानहानिकारक कथन या मानहानिकारक वचन किसी व्यक्ति के लिए लिखा या बोला गया हो।


(३) उस कथन/शब्द का प्रकाशन हो- मानहानिकारक कथन के प्रकाशन से तात्पर्य यह है कि जो मानहानिकारक कथन या वचन लिखा या बोला गया है उस कथन को  बोले/लिखने वाले व्यक्ति और जिसके बारे में लिखा या बोला गया है इन दोनों के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति उस अपमानकारी वचन/लेख को सुन या पढ़ लेता है तो माना जायेगा अपमानकारी वचन/लेख का प्रकाशन हो गया।





मानहानि का प्रकार:-




मानहानि का दो प्रकार है:


1 अपमान लेख(लिखित)

2 अपमान वचन(मौखिक



1 अपमान लेख(लिखित)- 


ऐसा लेख जिससे किसी व्यक्ति विशेष की ख्याति, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा को हानि पहुँचता है उसे अपमानकारी लेख कहते है।




निर्णीत वाद:-


डी. पी. चौधरी बनाम मंजुलता ए. आई.आर. 1997 राज. - इस वाद में वादी मंजुलता के बारे में जोधपुर के एक समाचार पत्र में एक समाचार छापा गया था जिसमे लिखा गया था कि वादी मंजुलता बीते रात पढ़ाई के बहाने किसी लड़के के साथ भाग गई है। यह समाचार असत्य था न्यायाधीश ने फैसला सुनाया की यह समाचार पत्र में छापी गई बात असत्य है जिस कारण वादी मंजुलता को बहुत सदमा लगा है तथा समाज मे इनके ख्याति को हानि हुई है तथा इनकी शादी की भी सम्भावना कम हो गई है , अतः समाचार एजेंसी पर  आर्थिक जुमार्ना लगाने का निर्णय लिया गया ।







2 अपमान वचन(मौखिक)-

 ऐसा मौखिक वचन जिस वचन  के प्रकाशन से किसी व्यक्ति विशेष के मान, सम्मान, ख्याति, प्रतिष्ठा को हानि पहुचता है अपमान वचन कहलाता है।




निर्णीत वाद-


हिराभाई जहांगीर बनाम दिनशा इदुलजी ए. आई.आर.1927 बम्बे- इस वाद में यह अभिनिर्धारित किया गया कि किसी महिला पर बोले गए शब्द द्वारा अस्तित्व का लाँछन लगाया गया है तो वह विशेष हानि के सिद्धि बिना भी कार्यवाही के योग्य है।



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