बेल | जमानत किसे कहते है? | जमानत के कितने प्रकार है? | किस धाराओ के तहत जमानत याचिका दायर किया जाता हैं?


नमस्कार दोस्तों, आशा करता हूँ कि आप कुशल होंगे। आज हम इस आर्टीकल में जमानत की परिभाषा, जमानत किस धारा के तहत फाइल किया जाता है,जमानत के कितने प्रकार है इस सभी बातों को मैं बताऊंगा। आपको मेरा पोस्ट पसंद आये तो अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारो के पास अवश्य शेयर करे।

जमानत- जमानत को अंग्रेजी भाषा मे बेल ( BAIL) बोला जाता है। अनेक बुद्धि जीवी इस शब्द (जमानत) को समझाने की कोशिश करते रहे हैं। आज मैं बेल ( जमानत) को साधारण शब्दों में परिभाषित कर रहा हूँ।

जमानत- आरोपी व्यक्ति को जेल (कारागार) से छुड़ाने के लिए कोर्ट के पास (समक्ष) जो सम्पति गारंटी के तौर पर रखी जाती है । उसे ही जमानत कहते है।

(नोट- बंधपत्र निष्पादित करने एवं उचित बेलर (योग्य जमानतदार ) के विश्वास दिलाने के बाद ही आरोपी को छोड़ा जाता है, किन्तु कुछ शर्तों के साथ ही न्यायालय किसी आरोपी को जमानत पर रिहा/छोड़ती है जैसे न्यायालय आरोपी व्यक्ति को जब जब न्यायालय में बुलायेगा उस दिन आरोपी को न्यायालय में हाजिर होना होगा, आरोपी बिना न्यायालय के अनुमति के देश से बाहर नही जाएगा आदि शर्तो के साथ जमानत पर छोड़ी जाती है।)

जमानत के दो प्रकार है:-
(1) नियमित जमानत (Regular Bail)
(2) अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail)

नियमित जमानत एवं अग्रिम जमानत को समझने से पहले आपको जमानतीय अपराध ( Bailable offence) , अजमानतीय अपराध ( Non Bailable offence) , संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) , असंज्ञेय अपराध ( Non cognizable offence) को समझना जरूरी है।

जमानतीय अपराध ( Bailable offence):-
जमानतीय अपराध को दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 2 (क) में परिभाषित किया गया है।  कौन सा अपराध "जमानतीय अपराध" है ? इसको दण्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूचि में देखा जा सकता है , दन्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची में केवल भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) के दण्डो से सम्बंधित धाराओ को ही अंकित किया गया है , अन्य अधिनियम में कौन सा धारा जमानतीय है वह उसी अधिनियम में दिया हुआ होता है उदाहरण के लिए आर्म्स एक्ट में कौन सा धारा जमानतीय है वह आर्म्स एक्ट अधिनियम में ही दिया होगा।।


अजमानतीय अपराध ( Non Bailable offence):-
अजमानतीय अपराध (Non Bailable offence) को दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 2 (a) में परिभाषित किया गया है।  कौन सा अपराध (offence) "अजमानतीय अपराध" है ? इसको दण्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूचि में देखा जा सकता है , दन्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची में केवल भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) के दण्डो से सम्बंधित धाराओ को ही अंकित किया गया है , अन्य अधिनियम में कौन सा धारा गैर -जमानतीय है वह उसी अधिनियम में दिया हुआ होता है उदाहरण के लिए आर्म्स एक्ट में कौन सा धारा अजमानतीय है वह आर्म्स एक्ट अधिनियम में ही दिया होगा।।


असंज्ञेय अपराध (non-Cognizable Offense) :-
असंज्ञेय अपराध को दन्ड प्रक्रिया संहिता  ( criminal procedure code 1973 ) की धारा 2 (c) में परिभाषित किया गया है । "ऐसा अपराध जिसमे पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नही कर सकती है उसे असंज्ञेय अपराध बोला जाता हैं।" कौन सा अपराध "असंज्ञेय अपराध" है इसका उल्लेख जिस अधिनियम की धाराएं हिती है उसी अधिनियम मे दिया होता है किंतु भारतीय दंड संहिता के दण्डो से सम्बंधित असंज्ञेय अपराध को cr. p. c के प्रथम अनुचित में दिया गया है।


संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) :-
संज्ञेय अपराध को दन्ड प्रक्रिया संहिता  ( criminal procedure code 1973) की धारा 2 (ग) में परिभाषित किया गया है । "ऐसा अपराध जिस अपराध के आरोपी को पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है उसे ही संज्ञेय अपराध कहते है" असंज्ञेय अपराध ज्यादातर गम्भीर नेचर का होता हैं। उदाहरण के लिए धारा 302 भा. द.सं. ।


अब हम जानेंगे जमानत के प्रकारो के बारे में,जैसा कि मैंने पहले ही बता दिया है कि जमानत के दो प्रकार है:-
(1) नियमित जमानत ( Regular Bail) :- नियमित जमानत उस समय फाइल किया जाता है जिस समय आरोपी जेल (कारागार) में बंद होता है। नियमित को भी दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है । "पहला जमानतीय अपराध की धाराओ में जमानत एवं दूसरा अजमानतीय अपराध में जमानत" दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 एवं 437 के तहत नियमित बेल फाइल किया जाता है। 


(2) अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) :- अग्रिम जमानत उस समय फाइल किया जाता है जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध में आरोपी के तौर पर नाम दर्ज होता है तो वह व्यक्ति जिसको किसी अपराध में आरोपित बनाया गया है वह गिरफ्तारी से बचने के लिये अपने वकील के द्वारा अग्रिम जमानत याचिका दायर करवाता है। अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत फाइल किया जाता है। अग्रिम जमानत लेने के लिए आरोपित व्यक्ति को न्यायालय के सामने हाजिर होने की कोई आवश्यकता नही है।

व्यवहारिक ज्ञान- मेरा अपना विचार यह है कि अगर आप regular bail petition / anticipatory bail partition फाइल करने जा रहे है तो आपको निम्न बातो का ध्यान अवश्य रखे:
  • जब पेटिशन/याचिक लिखे उससे पहले कम से कम 2 बार मामले की सभी बातों को कहानी की तरह सुने।
  • उसके बाद याचिका लिखे।
  • उसके बाद याचिका को 2 बार चेक करें और उसमें गलती खोजने का प्रयास करे।
  • याचिका को उसी न्यायालय में फाइल करे इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत वह मामला आता है।
  • न्यायालय के नियमो का पालन करे एवं अनुशासन में रहे।
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Online RTI FILE PROCESS:-
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Online RTI First Appeal File process- 

ऑनलाइन आरटीआई आवेदन/अपील status देखने की प्रक्रिया :-

ऑफलाइन आरटीआई फाइल करने की सबसे आसान तरीका:-

(आशा करता हूँ आपको ऊपर लिखी सभी बाते समझ मे आ गई होगी,अगर आपके मन मे कोई प्रश्न हो तो कृपया contact us में अपना प्रश्न जरूर लिखे , धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत)

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